एक उपवास... डिजिटल भी......

हमारे जीवन में उपवास का एक अलग सा महत्व होता है। धार्मिक दृष्टि से देखें ,तो ईश्वर की आराधना के लिए और वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो पाचन तंत्र को सेहतमंद रखने के लिए, उपवास किया जाता है। कुल मिलाकर बात करें तो यह शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों से मानव के लिए हितैषी होता है। कल शाम इसी शब्द उपवास को एक नए नजरिए से देखा, एक नए शब्द के साथ और वह था, 'डिजिटल उपवास'। 21वीं सदी में धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहे इंटरनेट की दुनिया में सब कुछ डिजिटल-डिजिटल है। जिसने मानव को कुछ यू जकड़ लिया है कि वह इसे ही अपनी दुनिया मान बैठा है। मानव के लिए सामाजिक होना, सोशल मीडिया पर विश्व भर के लोगों से चैटिंग करना हो गया है।‌ इन तकनीकी गैजेट्स की लत ने बाह्य दुनिया से उसका संपर्क ही काट दिया है। लत कुछ ऐसी के कई गंभीर बीमारियों के आगमन का कारण बन रही जिसमें प्रमुख अवसाद ,अनिद्रा, दुश्चिंता हैं। इन्हीं समस्याओं से बचने के लिए फोर्टिस अस्पताल मुंबई के मनोचिकित्सक डॉक्टर हीरक पटेल ने डिजिटल उपवास करने की हिदायत दी। इसका अर्थ है सारे डिजिटल उपकरणों से दूर रहने का प्रयास, जिससे इन गैजेट्स की लत से छुटकारा बेहद आसानी से पाया जा सकता है। पर क्या ये उपवास इतना आसान है, यह भी चिंतन का विषय हैं। वर्तमान में जब हम एक ऐसे युग में है, जहां मानव के लिए खाने और पीने से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण कार्य अपने गैजेट्स के साथ समय बिताना है तब डिजिटल उपवास करना कितना कठिन हो सकता है इसका अनुमान लगाना भी जटिल है।

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