पत्रकारिता में अंग्रेज़ी का प्रभाव

लोकतंत्र का चौथा स्तंभ ,सूचना एवं प्रचार-प्रसार का सशक्त माध्यम पत्रकारिता है। ऐसी कला जिसमें भाषा का ज्ञान होना सर्वोपरि है। भाषा वह साधन है, जो पत्रकारिता को रूह प्रदान करती हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपनी भाषा से लगाव रखता है। विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश हिंदुस्तान की लोकप्रियता हिंदी पत्रकारिता है। आधुनिक काल ,पत्रकारिता के व्यवसायीकरण का है। जिसके कारणवश खबरें जल्द से जल्द देने की होड़ व आपसी प्रतिस्पर्धा में हिंदी पत्रकारिता की भाषा का रूपांतरण होता चला जा रहा है। जिसका विश्लेषण इस प्रकार है-

१) हिंग्लिश (हिंदी +अंग्रेजी) का प्रयोग: प्रतिदिन अखबार के प्रत्येक पृष्ठ पर अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग देखने को मिलता है। बिज़नस, हेल्थ, एफ.आई.आर , एक्सपर्ट व्यू ,अपडेट, मॉनिटरिंग जैसे तमाम शब्दों ने हिंदी शब्दकोश के सौष्ठव शब्दों की जगह ले ली है। हिंग्लिश का प्रयोग विद्युत संचार एवं रेडियो में भी धड़ल्ले से हो रहा है। साथ ही साथ नई मीडिया अर्थात वेब पत्रकारिता में भी इसका प्रचार-प्रसार हमारे समक्ष दिखाई पड़ रहा है।

उदाहरण: १)ओवरटेक करके जीप में बैठाया था अपहरणकर्ताओं ने

२)ज्वाइन करो या सस्पेंड हो जाओ

उपयुक्त सुर्ख़ियों में ओवरटेक ,जॉइन और सस्पेंड अंग्रेजी के शब्द है जो हिंदी वाक्य में प्रयोग हुए हैं इसे ही हिंग्लिश नाम दिया गया है।

२) सरल से सरल शब्दों का प्रयोग: पत्रकारिता का सिद्धांत ही सरल एवं स्पष्ट भाषा का प्रयोग है परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि हम हिंदी भाषा की सुंदरता का लोप कर दे। अपभ्रंशित शब्दों का प्रयोग ,हिंदी के सहज शब्दों के स्थान पर करने लगे।

उदाहरण: 'द्वारा' शब्द का प्रयोग अखबार में नहीं होता है इसके स्थान पर आम बोलचाल की भाषा का ही प्रयोग किया जाता है।

हिंदी पत्रकारिता का इतिहास देखें तो 'उदंड मार्तंड', 'हिंदुस्तान', 'ब्राह्मण', 'भारत बंधु' जैसी पत्रिकाओं में हिंदी भाषा के सही प्रयोग की सुंदरता झलकती है।

३) हिंदी पत्रिकाओं में अंग्रेजी पृष्ठ: कई बार हिंदी पत्रिकाओं में अंग्रेजी पृष्ठ छप कर आते हैं। यहां सवाल यह उठता है की रजिस्ट्रार के पास समाचार पत्र के पंजीकरण के दौरान क्या द्विभाषी पत्र होने की जानकारी पंजीकृत करवाई गई थी? अगर नहीं, तब हिंदी पत्रिका में अंग्रेजी पृष्ठ होना कितना सही है

हिंदी प्रेमी पाठक के लिए अपनी भाषा में दूसरी भाषा की पत्रिका को देखना अत्यंत पीड़ादाई है। बाजार में भिन्न-भिन्न भाषाई पत्रिकाएं उपलब्ध है अर्थात मानव अपनी चेष्ठा अनुसार पसंदीदा भाषा की पत्रिका को पढ़ सकता है। तत्पश्चात भी विश्व प्रसिद्ध हिंदी पत्रिकाओं में अंग्रेजी पृष्ठ की आवश्यकता क्यों? हिंदी मीडिया की यह बदलती भाषा क्यों?

४) पत्रकारिता के जन्मे शब्द: शब्दों को छोटा करने एवं कम शब्दों में ज्यादा अर्थ समझाने के प्रयास में पत्रकारिता ने अनेक शब्दों को जन्म दिया है।

उदाहरण: आदर्श हिंदी शब्दकोश में आतंकी शब्द नहीं मिलता क्योंकि यह मीडिया द्वारा स्वरचित शब्द है। एक समय था जब अखबार में आतंकवादी शब्द छाया रहता था। आतंकवाद, लोगों को डरा धमका कर अपना उद्देश्य सिद्ध करने का सिद्धांत है एवं इस सिद्धांत को मानने वाला आतंकवादी है। इस सिद्धांत को क्रियान्वित करने वाला आतंकी नाम से अब जाना जाता है। इसी प्रकार कई शब्दों को छोटा करके लिखने का भी चलन मीडिया में है। जैसे बाईसाइकिल को 'बाइक' और सिनेमा को 'सिने' लिखा जाता है। मीडिया द्वारा स्वरचित शब्दों का प्रयोग आम जनता भी करने लगती है और भाषा की कौशलता यहां गलत रुख की ओर मुड़ जाती है।

५) अशुद्ध व्याकरण, गलत शब्द: अखबारों व पत्रकारिता के प्रत्येक माध्यम में प्रतिदिन व्याकरण संबंधी अशुद्धियां पाई जाती हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में समय की इतनी कमी होती है की व्याकरण संबंधी अशुद्धियां होना आम बात है परंतु कुछ गलतियां अज्ञानतावश की जाती है और जनमानस में प्रचलित होकर गलत शब्द को समाज से परिचित करा देती है।

जैसे-'आरोपी' शब्द का प्रयोग दोषी के लिए किया जाता है।

(आरोपी फरार, आरोपी गिरफ्तार)

हिंदी भाषा में आरोपी का सटीक अर्थ आरोप लगाने वाला होता है जैसे क्रोध करने वाला क्रोधी। जिस पर आरोप लगा हो उसके लिए शब्द है 'आरोपित'। परंतु वर्तमान में आरोपी का प्रयोग इतने बड़े रूप में होने लगा है कि शायद अभी से हिंदी शब्दकोश में भी शामिल जल्द ही कर लिया जाए।

विश्व के 6000 भाषाओं में 10 लोकप्रिय की श्रेणी में तीसरी सबसे प्रसिद्ध व लोकप्रिय भाषा हिंदी है। हॉलीवुड हो या विदेशी कला व विज्ञान, विभिन्न क्षेत्रों में हिंदी ने विदेशियों को भी प्रभावित किया है। यह सिद्ध करता है कि हिंदी का वर्चस्व विश्व पटल पर क्या है। ऐसे में हमें, हमारी भाषा के प्रति सतर्क और भारतीय मीडिया जिसके द्वारा हमारी हिंदी, विश्व में जानी जाती है उसे भी सतर्क होना अत्यंत आवश्यक है। भारतीय मीडिया की बदलती भाषा, अंग्रेजी का मिश्रण, हिंग्लिश का प्रयोग हमारे लिए चिंता का विषय है।

जय हिंद ,जय हिंदी

राखी त्रिपाठी

Data source--wikipedia

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