प्रत्येक धर्म का मूल उद्देश्य मानव जाति के संतुलित विकास एवं सामंजस्य को बढ़ावा देना होता है। धर्म और हिंसा एक दूसरे के विरोधी है और धर्म या धर्मों के नाम पर हिंसा करना उसके मूल उद्देश्य को खत्म कर देने जैसा होता है।अधिकतर धर्मों में शांति और अहिंसा के सिद्धांत बताए गए हैं जिसे अपनाने से हम समाज में शांति और सौहार्द बनाए रख सकते हैं। लेकिन हर वर्ष रामनवमी के मौके पर भड़के दंगे और अराजक तत्वों के कारण देश में अशांति का माहौल दिखाई पड़ता है। हर धर्म शांति, और सहिष्णुता को अपनाने की सलाह देता है।धर्म के नाम पर हिंसा की जगह, हमें धर्म के सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करना चाहिए। बल्कि ,धर्म को अपने घर के दरवाज़ों या धार्मिक स्थलों के भीतर ही रखना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को अन्य स्थलों पर केवल हिंदुस्तानी होने का परिचय देना चाहिए। जिस दिन हिंदुस्तानी होने की भावना सभी लोगों में पनपने लगेगी उस दिन हिंसा और अशांति का यह बवंडर समाज से समाप्त हो जाएगा।
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