फ़िल्मी गीतों से लुप्त होता रस

मौजूदा दौर में बॉलीवुड में बन रही लगभग सभी गीतों में रस खत्म हो गया है। जल्दबाजी में लिरिक्स लिखने का शौक, भाषा में फिसड्डी पकड़, शून्य विचार विमर्श क्षमता या पैसे का लालच आदि आदि...... कारण कोई भी हो पर मेरा मानना है की भारत के सर्वोच्च संस्थानों में संगीत की शिक्षा ले रहें विद्यार्थियों को भारतीय संगीत जगत में अपना योगदान देने के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए। जिससे वैश्विक पटल पर भारतीय संगीत की ताकत को हर कोई जान सके। साथ ही हम भारतीयों के कर्णों में हमारे वास्तविक प्राचीन संगीत कला की रमणीयता सुनाई पड़े।

राखी त्रिपाठी

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