छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की है। कुल 90 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा के 54 प्रत्याशियों ने अपनी सीट पक्की कर ली हैं। वहीं कांग्रेस ने कुल 35 सीटों पर जीत दर्ज की हैं।
एक्जिट पोल के नतीजों और राज्य में जनता के ‘भूपेश है तो भरोसा है’ के नारे नें कांग्रेस की जीत लगभग तय मान ली थी। लेकिन जनता ने एक बार फिर राज्य की कमान भाजपा को सौंप कर डबल इंजन की सरकार बना ली है। माना जा रहा है कि मोदी के भाषणों, चुनावी रेलियों और विकास के वादों ने छत्तीसगढ़ में जीत हासिल करनें में अहम भूमिका निभाई हैं। कई विश्लेषकों का मानना हैं कि भाजपा ने स्थानीय समस्याओं को ध्यान में रखकर चुनाव प्रचार और घोषणा पत्र तैयार किया था। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस राष्ट्रीय मुद्दों पर केन्द्रीत थी। CGPSC और शराब घोटाले का असर भी चुनाव पर पड़ा हैं।
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने बिना मुख्यमंत्री के चहरे के चुनाव लड़ा था। एक तरफ जहां भाजपा ने मोदी के चहरे पर जनता को लुभाया वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में 6 महीने पहले से चली आ रही मुख्यमंत्री पद की लड़ाई नजर आती रहीं। शनिवार को कांग्रेस विधायक सिंहदेव ने आलाकमान से सही आकलन कर योग्य सीएम चुनने की गुहार लगाई थी। दूसरी ओर सिंहदेव अम्बिकापुर सीट से चुनाव हार गये है।
पूर्व मुख्य्मंत्री भूपेश बघेल ने भतीजे विजय बघेल के खिलाफ दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की है। इतिहास टटोले तो ये दूसरी दफ़ा है जब चाचा ने भतीजे को हराया है। साल 2003 में पाटन से दोनों ने पर्चा भरा था और जीत चाचा की हुई थी। इसके बाद साल 2008 और 2013 में विजय ने भूपेश के खिलाफ बड़ी जीत हासिल की थी। इसे ध्यान में रखकर भाजपा नें दुर्ग से सांसद विजय बघेल को भूपेश के खिलाफ मैदान में उतारा था।
लगातार 15 वर्षों तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह, राजनांदगाँव सीट से विजीय रहे। भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए, छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज समेत 8 कैबिनेट मंत्री और डिप्टी सीएम सिंहदेव को विधानसभा में सीट पक्की करनें से रोक दिया है।
बघेल ने एक्स पर कहा, जनता का जनादेश हमेशा सिर आँखों पर रहा हैं। आज भी इस परिणाम को स्वीकार करता हूं। वहीं रमन सिंह ने वीडियों शेयर कर परिणाम दिवस को दूसरी दिवाली बताया है।
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