वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो महिला के अंडाशय में जब पुरुष शुक्राणु प्रवेश करता है, तब निषेचन की क्रिया से भ्रूण का निर्माण होता है। महिला व पुरुष दोनों के प्रजनन कोशिकाओं के न्यूक्लियस में पाए जाने वाले क्रोमोसोम्स भ्रूण के लिंग का चयन करते हैं। महिला व पुरुष दोनों के कोशिकाओं के केंद्रक में 23 जोड़े अर्थात कुल 46 क्रोमोजोम्स पाए जाते हैं। अर्धसूत्री विभाजन अर्थात निषेचन की क्रिया के दौरान पुरुष व महिला के कुल 46-46 क्रोमोजोम्स में से बराबर 23-23 क्रोमोजोम्स बटकर आने वाले बच्चे के 46 क्रोमोसोम्स के साथ उसके शरीर की डीएनए इंफॉर्मेशन संयोजित करते हैं। जिससे भ्रूण के शरीर का निर्माण होता है। इन्हीं 46 क्रोमोजोम्स में एक जोड़ा भ्रूण के लिंग को तय करता है। महिला के कोशिकाओं में 23वा जोड़ा XX क्रोमोजोम का होता है वही पुरुष कोशिकाओं में यह XY क्रोमोसोम्स का होता है। प्रजनन के दौरान अर्धसूत्री विभाजन में दोनों जोड़ों में से 1-1 कैरेक्टर भ्रूण के 23वें क्रोमोसोम के रूप में आता है। यदि महिला का एक X और पुरुष का एक X मिलता है ,तो XX क्रोमोसोम के संयोजन से लड़की का जन्म होता है वही महिला का एक X और पुरुष का एक Y मिलने से XY क्रोमोसोम के संयोजन से पुरुष का जन्म होता है। सामान्य स्थितियों में भ्रूण का जन्म लड़का या लड़की के स्वरूप में हो जाता है। परंतु कई बार अनेक कारणों से दो क्रोमोजोम्स के संयोजन होने के बजाय तीन या चार भी संयोजित हो जाते हैं। जिससे XXY , XXX, XXYY जैसे असामान्य क्रोमोजोम्स के संयोजन से लिंग में विभिन्नता दिखाई पड़ती है। ऐसे भ्रूण किन्नर या हिजड़े के रूप में जन्म लेते हैं।
हिजड़े आसमान से गिरे या धरती फट कर निकले कोई अन्य प्राणी नहीं है। बल्कि वह भी हमारी तरह इंसान है। उन्हें भी जीवन जीने का उतना ही अधिकार है जितना हमें है। इसके बावजूद उन्हें अवहेलना का सामना करना पड़ता है। मां की कोख में जिस प्रकार 9 महीने रहकर किसी पुरुष या स्त्री का जन्म होता है। उसी प्रकार हिजड़ों का जन्म भी होता है। समाज में रहने का जितना अधिकार नर- नारी का है उतना ही किसी हिजड़े का भी है।
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